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Chapter notes
“तारो का इनाम” एक जापानी लोककथा है जो माता-पिता की सेवा, ईमानदारी और लालच के बुरे परिणामों के बारे में बताती है। कहानी एक छोटे से गाँव की है जहाँ कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। तारो एक गरीब लकड़हारा है जो अपने बूढ़े माता-पिता के साथ रहता है। उनके पास बहुत कम पैसा है और जीवन कठिन है, फिर भी तारो मेहनती और खुशमिज़ाज है। वह रोज़ पहाड़ों पर जाता है, लकड़ियाँ काटता है और बाज़ार में बेचता है। जो थोड़ा-बहुत पैसा मिलता है, वह अपने माता-पिता के खाने-पीने और ज़रूरतों पर खर्च कर देता है। तारो कभी शिकायत नहीं करता, क्योंकि उसके लिए सबसे बड़ी खुशी अपने माता-पिता को आराम में देखना है।
एक बेहद ठंडी रात को तारो के माता-पिता आग के पास बैठकर काँप रहे होते हैं। वे अपने पुराने दिन याद करते हैं और बताते हैं कि जब वे जवान थे तो सर्दियों में गर्म साके पीने से शरीर में गर्माहट और मन में खुशी आती थी। वे बहुत साधारण इच्छा रखते हैं कि काश उन्हें थोड़ा साके मिल जाता। तारो यह सुनकर दुखी हो जाता है। उसे लगता है कि वह इतना भी नहीं कमा पा रहा कि अपने माता-पिता की छोटी-सी इच्छा पूरी कर सके। फिर भी वह उन्हें शांत स्वर में कहता है कि वह कोशिश करेगा।
अगली सुबह तारो बर्फ से ढके पहाड़ पर लकड़ी काटने निकल जाता है। मौसम बहुत कठोर है, हवा ठंडी है और बर्फ गहरी पड़ी है, फिर भी तारो लगातार काम करता रहता है। जंगल के भीतर चलते हुए उसे पानी गिरने की आवाज़ आती है। वह उत्सुक होकर उस दिशा में जाता है और एक झरने के पास पहुँचता है। यहाँ पर वह हैरान रह जाता है, क्योंकि झरना पानी की जगह साके से बह रहा होता है। उसकी खुशबू से पता चलता है कि यह सच में साके है। तारो तुरंत अपने माता-पिता को याद करता है। वह बिना देर किए बोतल में साके भरता है और जल्दी से बर्फ में रास्ता बनाते हुए घर लौट आता है।
घर आकर तारो साके गर्म करता है और अपने माता-पिता को देता है। माता-पिता चौंक जाते हैं और बहुत खुश होते हैं। जैसे ही वे साके पीते हैं, उनके शरीर में गर्माहट आ जाती है और चेहरा खिल उठता है। वे प्रसन्न होकर बातें करने लगते हैं। तारो को बहुत संतोष होता है, क्योंकि उसका उद्देश्य केवल अपने माता-पिता को खुशी देना था। वह इस चमत्कार को बेचने या अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने के बारे में नहीं सोचता। उसके लिए यह बस माता-पिता की सेवा का अवसर है।
लेकिन यह चमत्कार ज्यादा देर छिपा नहीं रह पाता। गाँव के लोग झरने के बारे में सुन लेते हैं और लालच में वहाँ दौड़ पड़ते हैं। वे बाल्टियाँ और घड़े लेकर पहुँचते हैं और आपस में धक्का-मुक्की करने लगते हैं। शांत जंगल में शोर मच जाता है। सब लोग ज्यादा से ज्यादा साके लेने की कोशिश करते हैं। उनकी स्वार्थी और लालची हरकतें उस चमत्कार को बिगाड़ देती हैं। थोड़ी देर में झरना साधारण पानी में बदल जाता है। गाँव वाले निराश होकर लौट जाते हैं, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आती कि उनकी लालच ने ही चमत्कार खत्म कर दिया।
कुछ समय बाद राजा को इस घटना की खबर मिलती है। राजा यह जानना चाहता है कि झरने ने तारो को ही साके क्यों दिया। वह पता करवाता है और जानता है कि तारो बहुत ईमानदार और माता-पिता की सेवा करने वाला बेटा है। उसके स्वार्थरहित प्रेम से राजा प्रभावित होता है। राजा तारो को बुलाकर उसकी प्रशंसा करता है और उसे धन तथा पुरस्कार देता है, ताकि तारो और उसके माता-पिता सुख से रह सकें। राजा सम्मान के रूप में झरने का नाम “तारो का झरना” रख देता है। तारो अपने गाँव लौटता है और सबकी नज़रों में सम्मानित हो जाता है।
यह कहानी सिखाती है कि अच्छे और निस्वार्थ लोगों को प्रकृति और ईश्वर की ओर से आशीर्वाद मिलता है, जबकि लालच अच्छे भाग्य को नष्ट कर देता है। साथ ही यह भी बताती है कि माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म और पुण्य है। तारो का असली इनाम धन से अधिक उसका सम्मान और उसकी अच्छाई का फल है।