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Chapter notes
“अ हाउस, अ होम” कविता बहुत सरल शब्दों में एक गहरी बात समझाती है। हम अक्सर “हाउस” और “होम” दोनों शब्दों को एक ही अर्थ में इस्तेमाल कर लेते हैं, लेकिन कवि बताता है कि इन दोनों में बड़ा अंतर है। कविता का उद्देश्य बच्चों को यह समझाना है कि रहने की जगह केवल ईंट-पत्थर की इमारत नहीं होती, बल्कि उसमें रहने वाले लोगों का प्रेम और अपनापन ही उसे “सच्चा घर” बनाता है।
कविता की शुरुआत “हाउस” से होती है। हाउस एक भौतिक संरचना है, जिसे ईंट, पत्थर, लकड़ी, सीमेंट, लोहे और कांच जैसी चीज़ों से बनाया जाता है। इसमें दीवारें, दरवाज़े, खिड़कियाँ, छत और फर्श होते हैं। यह हमें बारिश, धूप, ठंड, गर्मी और बाहरी खतरों से बचाता है। हाउस के भीतर फर्नीचर, सजावट और रोज़मर्रा की वस्तुएँ हो सकती हैं। कवि बताता है कि हाउस वह इमारत है जिसे हम देख सकते हैं, छू सकते हैं और उसका आकार, कीमत या सुंदरता माप सकते हैं। हाउस बड़ा भी हो सकता है और छोटा भी, महंगा भी हो सकता है और साधारण भी, लेकिन वह केवल एक ढांचा है।
इसके बाद कवि “होम” यानी “घर” की भावना पर आता है। कवि समझाता है कि होम केवल इमारत नहीं है। होम उस जगह को कहते हैं जहाँ रहने वाले लोगों के बीच प्रेम, स्नेह, देखभाल और अपनापन होता है। होम में परिवार के सदस्य मिलकर रहते हैं, एक-दूसरे की मदद करते हैं, दुख में साथ देते हैं और खुशियों में साथ हँसते-खेलते हैं। कवि के अनुसार होम वह जगह है जहाँ मन को शांति और दिल को सुकून मिलता है। वहाँ का वातावरण गर्मजोशी से भरा होता है और यह महसूस होता है कि हम कहीं “अपनों” के बीच हैं।
कविता यह भी कहती है कि हाउस तभी होम बनता है जब उसमें प्यार हो। यदि किसी बड़े और आलीशान मकान में रहने वाले लोग आपस में लड़ते हों, एक-दूसरे से अलग-थलग रहते हों या मन में दूरी रखते हों, तो वह जगह केवल हाउस की तरह ठंडी और खाली लगती है। चाहे उस मकान में कितनी भी सुविधाएँ और सुंदर वस्तुएँ हों, वह खुशी नहीं दे सकता। इसके उलट, अगर कोई छोटा सा झोपड़ा या साधारण कमरा भी प्रेम, सम्मान और सहयोग से भरा हो, तो वही सच्चा होम बन जाता है। कवि साफ करता है कि इमारत का आकार नहीं, बल्कि लोगों के दिलों का अपनापन घर की असली पहचान है।
कवि होम को बनाने वाली कुछ जरूरी बातों पर भी ध्यान दिलाता है। जैसे—मिलजुलकर रहना, समझदारी, सहनशीलता, दूसरों की चिंता करना और जिम्मेदारी बाँटना। होम में कोई भी केवल अपने लिए नहीं सोचता, बल्कि परिवार की भलाई को महत्व देता है। माता-पिता बच्चों की देखभाल करते हैं, बच्चों को सही दिशा देते हैं और बच्चों को सुरक्षा का एहसास कराते हैं। वहीं बच्चे भी माता-पिता का सम्मान करते हैं, उनकी मदद करते हैं और घर की खुशियों में योगदान देते हैं। जब परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के लिए जीते हैं, तभी घर जीवंत और सुखद बनता है।
कविता हमें कृतज्ञता का संदेश भी देती है। कवि मानो यह चेतावनी देता है कि केवल धन, बड़ी इमारतें या भौतिक सुख जीवन की सच्ची खुशी नहीं हैं। आधुनिक समय में लोग अक्सर बड़े घर और अधिक सुविधाएँ पाने के पीछे भागते हैं, लेकिन कवि याद दिलाता है कि असली सुख रिश्तों से आता है। प्रेम और भावना नहीं होगी, तो बड़ी इमारत बेकार है। इसलिए बच्चों को यह सीख मिलती है कि वे अपने रिश्तों को महत्व दें, घर के लोगों को समय दें, और साथ मिलकर रहने की भावना विकसित करें।
अंत में कविता का सार स्पष्ट हो जाता है—हाउस दीवारों और वस्तुओं से बनता है, लेकिन होम प्रेम और दिलों से बनता है। सच्चा घर वह है जहाँ अपनापन हो, जहाँ हम मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस करें। यही कविता का मुख्य संदेश है कि रिश्तों की गर्माहट ही किसी भी स्थान को घर बनाती है।