Skip to main content
Home Notes MCQ's Qestions NCERT Qestions Worksheets Blogs
CBSE for Class 6 CBSE for Class 7 CBSE for Class 8 CBSE for Class 9 CBSE for Class 10 MCQ's Qestions

Chapter summaries

The Kite (Poem) summary

Read concise NCERT summaries and highlights for The Kite (Poem) in Class 6 · English.

✔ Notes, key examples, and NCERT highlights

✔ Links to worksheets, MCQs, and PDFs

✔ Layout stays consistent with the worksheet hub

How to use

Scroll to the summary, switch languages if needed, then follow the links below the notes to open worksheets or MCQs.

1. Tap the chapter card →

2. Read summary or switch to Hindi

3. Follow through to practice materials

Summary

The Kite (Poem)

Every chapter summary is connected to NCERT notes, worksheets, and practice MCQs. Use the cards below to explore the full chapter and its linked resources.

Chapter notes

“द काइट” कविता एक बहुत ही जीवंत और आनंदमय रचना है जो तेज़ हवा वाले उजले दिन में पतंग उड़ाने की खुशी को चित्रित करती है। कवि पतंग को लगभग एक जीवित प्राणी की तरह दिखाता है, जिसमें ऊर्जा, उत्साह और खेल-भावना भरी होती है। सरल शब्दों और सुंदर कल्पनाओं के माध्यम से यह कविता बचपन के आनंद, प्रकृति की सुंदरता और स्वतंत्रता की भावना को साथ-साथ व्यक्त करती है। कविता में पतंग की उड़ान, उसका नाचना और फिर गिर जाना—तीनों दृश्य मिलकर रोमांच का पूरा अनुभव बनाते हैं।

कविता की शुरुआत उस क्षण से होती है जब बच्चा पतंग को हवा में छोड़ता है। हवा उसके रंगीन कागज़ को पकड़कर ऊपर उठाती है और बच्चा डोर में खिंचाव महसूस करता है। कवि इस खिंचाव को पतंग की उड़ने की चाह की तरह दिखाता है। पतंग अचानक ऊपर की ओर उछलती है, जैसे वह आकाश में चढ़ने के लिए बहुत उत्सुक हो। इस उड़ान में एक उत्सव जैसा भाव आता है। ऐसा लगता है कि पतंग और हवा मिलकर खेल रहे हैं और आकाश उनके खेल का मैदान बन गया है।

पतंग ऊपर जाते समय सीधी रेखा में नहीं उड़ती। वह कभी नीचे झुकती है, कभी दाएँ-बाएँ घूमती है और फिर तेज़ी से ऊपर उठती है। कवि उसकी इस चाल को नाच जैसा बताता है। हवा उसकी साथी बनती है—कभी उसे ऊपर धकेलती है, कभी घुमा देती है और कभी उसे स्थिर कर देती है। पतंग आकाश में लहराती, झूमती और तैरती दिखती है, मानो वह उड़ने की खुशी में थिरक रही हो। बच्चा भी उतना ही आनंद महसूस करता है, क्योंकि पतंग के हर झटके और हर मोड़ का संबंध उसकी डोर से जुड़ा होता है। कवि हमें यह भी समझाता है कि पतंग की स्वतंत्रता और बच्चे का नियंत्रण एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

कविता में पतंग को पक्षी जैसा बताया गया है। वह आकाश में ऐसे उड़ती है जैसे उसके अपने पंख हों। वह हवा में फड़फड़ाती और गोल-गोल घूमती है, ठीक किसी पक्षी की तरह। लेकिन वह पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है, क्योंकि वह डोर से बंधी रहती है। यह डोर धरती और आकाश के बीच की कड़ी है। कवि यह संकेत देता है कि स्वतंत्रता सुंदर होती है, पर उसे सही दिशा देने वाला हाथ भी जरूरी होता है। बच्चा डोर को न ज्यादा कसता है, न ज्यादा ढीला छोड़ता है। अगर डोर ज्यादा कस जाए, तो पतंग की उड़ान रुक सकती है। अगर डोर ढीली हो जाए, तो पतंग गिर सकती है। इसलिए पतंग उड़ाना केवल खेल नहीं, बल्कि ध्यान, संतुलन और जिम्मेदारी का अभ्यास भी है।

कविता के दूसरे भाग में कवि बताता है कि जब डोर टूट जाती है तो क्या होता है। डोर टूटते ही पतंग का मार्गदर्शन समाप्त हो जाता है। जो हवा पहले उसे ऊँचा उठा रही थी, वही अब उसे असहाय बना देती है। पतंग डगमगाने लगती है, इधर-उधर बहती है और उसका सुंदर नाच बिखर जाता है। अब वह आत्मविश्वास के साथ नहीं उड़ती, बल्कि बेबस होकर काँपती और लहराती है। आखिरकार वह धीरे-धीरे नीचे गिरने लगती है और जमीन पर आकर शांत हो जाती है। यह दृश्य दुखद नहीं, बल्कि स्वाभाविक लगता है, क्योंकि हर खेल का अंत होता है।

कविता का अंत हमें यह सिखाता है कि कोई भी रोमांच या खुशी हमेशा नहीं रहती। लेकिन पतंग का गिरना भी उस आनंद को खत्म नहीं करता जो उसने उड़ते समय दिया था। उड़ान की खुशी बनी रहती है और बच्चा फिर से पतंग को उठाकर, डोर ठीक करके दोबारा उड़ा सकता है। यह हमें जीवन की सच्चाई भी बताता है कि जैसे पतंग ऊपर जाती है फिर गिरती है, वैसे ही जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। गिरने के बाद फिर उठना संभव है, अगर हम कोशिश करना न छोड़ें।

इस प्रकार “द काइट” केवल पतंग उड़ाने का वर्णन नहीं है, बल्कि बचपन के सरल सुखों का उत्सव है। यह हवा, आकाश और खेल के सुंदर मेल को दिखाती है। कविता स्वतंत्रता का आनंद भी सिखाती है और यह याद भी दिलाती है कि स्वतंत्रता को संभालने के लिए जिम्मेदारी जरूरी है। पतंग की उड़ान हमें खुशी, हल्कापन और नई शुरुआत का संदेश देती है।