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Chapter notes
“द क्वारेल” (झगड़ा) एक छोटी लेकिन बहुत अर्थपूर्ण कविता है, जो यह बताती है कि छोटे-छोटे मतभेद कैसे झगड़े का रूप ले लेते हैं और फिर कैसे आसानी से सुलझ भी सकते हैं। कविता सरल और बातचीत के अंदाज में लिखी गई है, इसलिए यह बच्चों के लिए बहुत सहज और समझने योग्य बन जाती है। कवि दो लोगों के बीच हुए झगड़े का वर्णन करता है और उस अनुभव से हमें रिश्तों और भावनाओं के बारे में एक व्यावहारिक सीख देता है।
कविता की शुरुआत झगड़े के कारण से होती है। वक्ता कहता है कि झगड़ा एक “तुच्छ” या बहुत छोटी-सी बात पर शुरू हुआ था। यह शब्द बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पता चलता है कि असल में उस झगड़े की कोई बड़ी वजह नहीं थी। यह आम जीवन की सच्चाई है कि कई बार लोग थकान, चिड़चिड़ाहट या गलतफहमी में बिना सोचे-समझे बहस शुरू कर देते हैं। छोटी बात पर भी गुस्सा बढ़ने लगता है और फिर दोनों एक-दूसरे को कड़वे शब्द कह देते हैं। कवि यह दिखाना चाहता है कि झगड़े अक्सर गंभीर कारणों से नहीं, बल्कि भावनाओं के बहाव से शुरू होते हैं।
झगड़ा बढ़ते-बढ़ते दोनों लोगों को जिद्दी बना देता है। वे एक-दूसरे की बात सुनने को तैयार नहीं होते। दोनों केवल यह साबित करना चाहते हैं कि वे सही हैं। यहाँ कविता हमें एक और सच्चाई दिखाती है—गुस्से के समय इंसान का विवेक कम हो जाता है। बोलने से पहले वह सोचता नहीं कि उसके शब्द सामने वाले को कितना दुख पहुँचा सकते हैं। वक्ता स्वयं मानता है कि दोनों ने मूर्खता की, यानी झगड़ा अनावश्यक और नुकसानदेह था। यह भी संकेत मिलता है कि झगड़े में “अहंकार” सबसे बड़ा कारण बनता है।
झगड़े के बाद दोनों के बीच दूरी आ जाती है। अब बातचीत बंद हो जाती है और रिश्ते में ठंडापन आ जाता है। वक्ता भी दुखी रहता है, पर वह अपनी नाराज़गी के कारण सामने वाले से दूर बना रहता है। यह स्थिति बताती है कि झगड़े से केवल क्षणिक गुस्सा नहीं आता, बल्कि प्यार और अपनापन भी दब जाता है। लेकिन कविता यह भी बताती है कि गुस्सा हमेशा नहीं टिकता। समय के साथ मन शांत होता है और इंसान सोचने लगता है कि झगड़ा किस बात पर हुआ था। तब उसे समझ आता है कि कारण तो बहुत छोटा था और इतनी बड़ी नाराज़गी उसका सही जवाब नहीं थी। यहीं से पछतावा शुरू होता है।
कविता का अहम मोड़ सुबह के आने से जुड़ा है। कवि सुबह को नई शुरुआत और शांति का प्रतीक बनाता है। जैसे ही सुबह होती है, दोनों लोगों का मूड बदल जाता है। रात की नाराज़गी और तनाव धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। वक्ता देखता है कि दूसरा व्यक्ति भी पहले जैसा ही तैयार है दोस्ती या अपनापन वापस लाने के लिए। कोई लंबा भाषण या बड़ी माफी की जरूरत नहीं पड़ती। दोनों चुपचाप समझ जाते हैं कि झगड़ा बेकार था। फिर वे सामान्य रूप से बोलने लगते हैं और उनका रिश्ता पहले जैसा हो जाता है। कवि बताता है कि जब रिश्ते मजबूत होते हैं, तो क्षमा भी स्वाभाविक रूप से आ जाती है।
कविता हमें सिखाती है कि झगड़े हमेशा बड़े मुद्दों पर नहीं होते, वे अक्सर तुच्छ कारणों से उपजते हैं। इसलिए हमें छोटी बातों को बड़ा नहीं बनाना चाहिए। अगर हम गुस्से में बोलने से पहले रुक जाएँ और सोच लें, तो बहुत सी परेशानियाँ टल सकती हैं। कवि यह भी संकेत देता है कि संबंधों में जीत-हार से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रेम और समझदारी है। अगर हम अहंकार छोड़ दें, तो झगड़ा खत्म करना आसान हो जाता है।
अंत में “द क्वारेल” की सीख बहुत सरल और उपयोगी है। झगड़े हर इंसान के जीवन में आते हैं; यह मानवीय स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन असली बुद्धिमानी यह है कि हम जल्दी माफी मांगें और माफ करें। किसी तुच्छ झगड़े के कारण रिश्तों को खराब करना सही नहीं। प्यार, मित्रता और शांति बहस जीतने से कहीं ज्यादा कीमती हैं। कविता का संदेश है कि हमें गुस्से को नियंत्रित करना चाहिए, अपने रिश्तों को महत्व देना चाहिए और हर नए दिन को एक नई शुरुआत की तरह अपनाना चाहिए।