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Chapter summaries

Where Do All the Teachers Go? (Poem) summary

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Summary

Where Do All the Teachers Go? (Poem)

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Chapter notes

“व्हेयर डू ऑल द टीचर्स गो?” एक बहुत ही प्यारी, मासूम और हल्की-फुल्की कविता है, जिसमें एक बच्चे की जिज्ञासा और कल्पना दिखाई गई है। कविता एक छोटे विद्यार्थी की दृष्टि से लिखी गई है, जो रोज़ स्कूल में अपने अध्यापकों को पढ़ाते, डाँटते, होमवर्क देते और अनुशासन बनाए रखते देखता है। बच्चे की नजर में शिक्षक हमेशा गंभीर, सख्त और केवल स्कूल से जुड़े हुए लगते हैं। उसे लगता है जैसे शिक्षक सिर्फ पढ़ाने के लिए ही बने हैं और उनकी दुनिया स्कूल के अंदर ही सीमित है। इसलिए वह बड़ी मासूमियत से सोचता है कि स्कूल खत्म होने के बाद शिक्षक कहाँ जाते होंगे और क्या करते होंगे।

कविता की शुरुआत बच्चे के सीधे सवाल से होती है कि चार बजे स्कूल की छुट्टी होने के बाद अध्यापक कहाँ जाते हैं। बच्चे की यह जिज्ञासा स्वाभाविक है, क्योंकि उसकी कल्पना में शिक्षक हर समय केवल शिक्षक ही होते हैं। वह सोच ही नहीं पाता कि स्कूल के बाहर भी उनकी कोई अलग जिंदगी हो सकती है। यही कविता का मुख्य विषय है—बच्चों का नजरिया और वयस्कों की वास्तविक जिंदगी के बीच का अंतर।

इसके बाद बच्चा कई मज़ेदार और दिलचस्प बातें सोचता है। वह कल्पना करता है कि क्या शिक्षक भी आम लोगों की तरह घर जाते हैं। क्या वे भी रोज़मर्रा के सामान्य काम करते हैं? क्या वे अपने मोज़े धोते हैं, कपड़े बदलते हैं या खाना बनाते हैं? क्या वे टीवी देखते हैं और आराम करते हैं? ये सवाल सुनने में बहुत हास्यपूर्ण लगते हैं, क्योंकि बच्चों के मन में शिक्षक का रूप इतना अलग होता है कि वे उन्हें ऐसी साधारण चीजों से जोड़ ही नहीं पाते। कविता इस मासूम सोच को मज़े के साथ दिखाती है।

बच्चा फिर अध्यापकों के परिवार के बारे में सोचता है। वह पूछता है कि क्या शिक्षकों के भी माता-पिता होते हैं? क्या वे भी अपनी माँ-बाप से उसी तरह प्यार करते हैं जैसा बच्चों को सिखाया जाता है? क्या कभी उनके माता-पिता उन्हें गलत बातों पर डाँटते भी हैं? यह विचार बहुत सुंदर है, क्योंकि स्कूल में शिक्षक बच्चों को सुधारते हैं, लेकिन बच्चा सोचता है कि शायद शिक्षक भी कहीं किसी के बच्चे हों और उन्हें भी कभी समझाया जाता हो। इससे बच्चे का नजरिया उल्टा हो जाता है और वह अध्यापकों को एक सामान्य इंसान के रूप में देखने लगता है।

कविता में बच्चा यह भी सोचता है कि क्या शिक्षक कभी गलती करते हैं? क्या उन्हें भी कभी किसी बात पर सज़ा मिलती है? क्या वे घर पर कभी गुस्सा होते हैं और बाद में पछताते हैं? क्या वे भी “सॉरी” कहते हैं जब वे गलत होते हैं? ये सवाल दिखाते हैं कि बच्चा केवल मज़ाक नहीं कर रहा, बल्कि वह यह जानना चाहता है कि क्या शिक्षक भी वही नैतिक बातें और भावनाएँ अनुभव करते हैं जो वे बच्चों को पढ़ाते हैं। बच्चे की यह सोच बहुत संवेदनशील और सच्ची है।

इसके बाद बच्चा अध्यापकों की खुशी और मनोरंजन के बारे में सोचता है। क्या वे भी कभी खेलते हैं, हँसते हैं, घूमने जाते हैं और मज़ा करते हैं? शायद वे पार्क में सैर करते हों, दोस्तों से बातें करते हों या अपने पसंदीदा काम करते हों। बच्चे की कल्पना अध्यापकों को सख्त और दूर की छवि से निकालकर एक स्नेही और खुश रहने वाले इंसान के रूप में सामने लाती है। वह सोचता है कि अगर वह अपने अध्यापक को इस रूप में देख सके, तो वह उन्हें और ज्यादा पसंद करेगा।

कविता का अंत बहुत कोमल भाव से होता है। बच्चे की जिज्ञासा उसके अध्यापकों के प्रति सम्मान और प्रेम का संकेत है। वह जानना चाहता है कि शिक्षक भी हमारी तरह सामान्य जीवन जीते हैं, और यह सोचकर उसे अपनापन महसूस होता है। कविता हमें यह सिखाती है कि शिक्षक भी इंसान हैं—उनका अपना घर है, परिवार है, रोज़ की आदतें हैं, खुशियाँ और परेशानियाँ हैं। यह कविता बच्चों और बड़ों दोनों के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है। बच्चों को यह समझने में मदद करती है कि अध्यापक भी हमारी तरह ही सामान्य लोग हैं, और बड़ों को यह याद दिलाती है कि बच्चों की मासूम जिज्ञासा प्यार से भरी होती है, कोई अपमान नहीं। इस तरह यह कविता शिक्षक और विद्यार्थी के रिश्ते को और अधिक मानवीय, गर्म और सुंदर बनाती है।