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Chapter notes
“अ टेल ऑफ टू बर्ड्स” एक छोटी लेकिन बहुत अर्थपूर्ण कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि इंसान या कोई भी जीव जैसा बनता है, वह उसके जन्म से नहीं बल्कि उसके पालन-पोषण और वातावरण से तय होता है। कहानी बताती है कि एक ही परिवार के दो पक्षी अलग-अलग वातावरण में पलकर बिल्कुल अलग स्वभाव के बन जाते हैं। इस सरल घटना के माध्यम से पाठ यह समझाता है कि संगत और माहौल हमारे व्यक्तित्व को गढ़ते हैं।
कहानी की शुरुआत एक घने जंगल से होती है, जहाँ एक माँ चिड़िया अपने दो छोटे बच्चों के साथ ऊँचे पेड़ पर बने घोंसले में रहती है। जंगल शांत और सुंदर है। माँ चिड़िया अपने बच्चों की देखभाल करती है, उन्हें दाना खिलाती है और सुरक्षा देती है। सब कुछ ठीक चल रहा होता है, तभी एक दिन भयंकर तूफान आ जाता है। तेज हवाएँ चलती हैं, बारिश होती है और पेड़-पौधे हिलने लगते हैं। तूफान इतना शक्तिशाली होता है कि पेड़ की टहनियाँ टूट जाती हैं और घोंसला नष्ट हो जाता है। इस अफरा-तफरी में दोनों बच्चे अलग-अलग दिशाओं में उड़ जाते हैं और माँ उन्हें ढूँढ नहीं पाती। यह घटना उनके जीवन को पूरी तरह बदल देती है।
तूफान का एक बच्चा पक्षी जंगल के किनारे एक गुफा के पास गिरता है। यह गुफा डाकुओं की होती है। वे लालची और क्रूर लोग होते हैं जो राहगीरों को लूटते हैं। बच्चा पक्षी वहीं पलने लगता है। वह रोज़ डाकुओं की कठोर भाषा, धमकियाँ और योजनाएँ सुनता है। धीरे-धीरे वह उन्हीं की तरह बोलना और व्यवहार करना सीख जाता है। उसकी आवाज़ भी डराने वाली और रूखी हो जाती है। वह स्वभाव से बुरा नहीं था, लेकिन जिस माहौल में वह बड़ा हुआ, उसी ने उसे वैसा बना दिया।
दूसरा बच्चा पक्षी तूफान में दूसरी दिशा में उड़कर एक शांत आश्रम के पास गिरता है। यह आश्रम एक दयालु ऋषि और उनके शिष्यों का होता है। वहाँ का वातावरण शांत, आध्यात्मिक और प्रेमभरा होता है। ऋषि अच्छे संस्कार सिखाते हैं, जैसे सत्य बोलना, सम्मान करना, दया रखना और अतिथि का स्वागत करना। यह पक्षी उन्हीं बातों को सुन-सुनकर बड़ा होता है और वैसा ही व्यवहार सीख लेता है। उसकी आवाज़ मधुर और विनम्र हो जाती है। वह मेहमानों को प्यार से बुलाता है और सहायता की भावना रखता है। इस तरह समान परिवार का यह पक्षी अच्छे वातावरण में रहकर अच्छा बन जाता है।
कहानी का मुख्य भाग तब आता है जब एक राजा जंगल में शिकार करने आता है। शिकार करते-करते वह अपने सैनिकों से बिछड़ जाता है। वह थका हुआ और प्यासा होता है और आश्रय ढूँढते हुए उसी क्षेत्र में पहुँचता है जहाँ डाकुओं की गुफा है। वहाँ पेड़ पर बैठा पहला पक्षी उसे देखकर जोर-जोर से कठोर भाषा में बोलता है। वह कहता है कि यहाँ मत आओ, डाकू तुम्हें पकड़ लेंगे, तुम्हें लूट लेंगे। यह भाषा बिल्कुल डाकुओं की तरह डराने वाली होती है। राजा हैरान रह जाता है कि पक्षी इतनी कठोर और धमकी भरी बातें कैसे कर सकता है। उसे खतरा महसूस होता है और वह तुरंत वहाँ से चला जाता है।
राजा आगे बढ़ता है और कुछ दूरी पर उसे आश्रम दिखाई देता है। जैसे ही वह आश्रम के पास पहुँचता है, उसे दूसरे पक्षी की मधुर आवाज़ सुनाई देती है। वह पक्षी स्नेह से राजा का स्वागत करता है और कहता है कि आप अतिथि हैं, अंदर आइए, आराम कीजिए। राजा फिर चकित हो जाता है क्योंकि यह पक्षी पहले वाले से बिल्कुल अलग बोल रहा था। वह आश्रम में जाता है, जहाँ ऋषि उसे पानी, भोजन और विश्राम देते हैं। राजा ऋषि को दोनों पक्षियों के बारे में बताता है और पूछता है कि एक ही जंगल में दो पक्षी इतना अलग कैसे हो सकते हैं।
तब ऋषि उसे सच्चाई बताते हैं कि दोनों पक्षी सगे भाई हैं, एक ही घोंसले में पैदा हुए थे। लेकिन एक डाकुओं के साथ रहा, इसलिए उसने उनकी रूखी भाषा और बुरी आदतें सीख लीं। दूसरा ऋषि के आश्रम में रहा, इसलिए उसने अच्छे संस्कार और विनम्रता सीख ली। ऋषि का संदेश स्पष्ट है—जैसी संगत होती है, वैसा ही इंसान बनता है। अच्छे वातावरण में रहने से अच्छाई आती है और बुरे वातावरण में रहने से बुरी आदतें आ जाती हैं।
कहानी का निष्कर्ष बहुत महत्वपूर्ण है। यह सिखाती है कि जन्म से कोई अच्छा या बुरा नहीं बनता, बल्कि उसके आसपास का माहौल, दोस्त और सीख उसे वैसा बनाते हैं। इसलिए हमें हमेशा अच्छी संगत चुननी चाहिए और अच्छे लोगों के साथ रहना चाहिए। “अ टेल ऑफ टू बर्ड्स” पाठ बच्चों को यह प्रेरणा देता है कि वे सकारात्मक वातावरण में रहें, सही मित्र चुनें और अच्छे संस्कार अपनाकर अपना व्यक्तित्व सुंदर बनाएं।