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Chapter notes
“द फ्रेंडली मोंगूस” एक अत्यंत प्रभावशाली नैतिक कहानी है जो यह सिखाती है कि जल्दबाज़ी और गुस्से में लिया गया निर्णय कितनी बड़ी हानि पहुँचा सकता है। यह कहानी विश्वास, धैर्य और सही समय पर सोच-समझकर काम करने का महत्व बताती है। सरल गाँव की पृष्ठभूमि में घटने वाली इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि बिना सच्चाई जाने किसी पर शक करना या तुरंत प्रतिक्रिया देना विनाशकारी हो सकता है।
कहानी की शुरुआत एक छोटे गाँव से होती है जहाँ एक किसान और उसकी पत्नी रहते हैं। वे एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं, लेकिन उनके जीवन में एक कमी है—उनके कोई संतान नहीं है। बच्चे के बिना उनका घर सूना लगता है और वे अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं। इस अकेलेपन को कम करने के लिए वे एक पालतू जानवर रखते हैं। वे एक नेवला (mongoose) घर ले आते हैं। नेवला छोटा, फुर्तीला और साँपों को मारने के लिए प्रसिद्ध जानवर होता है। दंपति उसे बहुत प्यार से पालते हैं, उसे खाना देते हैं, उससे खेलते हैं और उसे परिवार का हिस्सा मानते हैं। धीरे-धीरे नेवला बहुत दोस्ताना और वफादार बन जाता है। वह घर के आसपास रहता है और दंपति से गहरा लगाव बना लेता है।
कुछ वर्षों बाद भगवान की कृपा से दंपति के घर एक बच्चा पैदा होता है। उनका आनंद दुगुना हो जाता है। अब उनके पास वह सब है जिसकी उन्हें चाह थी—एक प्यारा बेटा और एक वफादार पालतू नेवला। वे बच्चे से बहुत प्रेम करते हैं और नेवले को भी बराबर स्नेह देते हैं। शुरू में वे थोड़े चिंतित रहते हैं कि नेवला और बच्चा साथ रहें या नहीं, क्योंकि नेवला भी एक जानवर है। लेकिन नेवला हमेशा शांत और मित्रवत रहा है, इसलिए धीरे-धीरे उनका डर खत्म हो जाता है। नेवला भी बच्चे से जुड़ जाता है और उसके पास बैठकर उसकी रक्षा करता है।
एक दिन ऐसी घटना होती है जो पूरे परिवार को बदल देती है। किसान खेतों में काम करने चला जाता है। उसकी पत्नी को भी किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ता है। वह बच्चे को घर में पालने पर सोता हुआ छोड़ती है। नेवला हमेशा की तरह बच्चे के पास ही रहता है। जाते समय माँ को थोड़ी चिंता होती है, पर वह खुद को समझाती है कि नेवला मित्रवत है और बच्चे को नुकसान नहीं पहुँचाएगा। वह भरोसा करके बाहर चली जाती है।
माँ के जाने के बाद घर में एक ज़हरीला कोबरा चुपचाप घुस आता है। वह सीधे बच्चे के पालने की ओर बढ़ता है। यह बहुत खतरनाक स्थिति होती है, क्योंकि बच्चा बिल्कुल असहाय है। नेवला तुरंत कोबरा को देख लेता है। उसमें सुरक्षा की भावना जाग उठती है और वह बच्चे को बचाने के लिए कोबरा पर हमला कर देता है। दोनों के बीच भयंकर लड़ाई होती है। कोबरा कई बार वार करता है, लेकिन नेवला तेजी से बचता रहता है। आखिरकार नेवला साहस और फुर्ती से कोबरा को काटकर मार देता है। बच्चा सुरक्षित रहता है। लड़ाई के कारण नेवले के मुँह और पंजों पर खून लग जाता है।
कुछ देर बाद माँ घर लौटती है। वह देखती है कि नेवला खुशी-खुशी उसकी ओर दौड़ रहा है। नेवला यह दिखाना चाहता है कि उसने बच्चे की जान बचाई है। लेकिन माँ उसके मुँह पर खून देखकर डर जाती है। बिना बच्चे को देखे ही उसके मन में सबसे भयानक विचार आता है। वह समझ लेती है कि नेवले ने उसके बच्चे को मार डाला है। डर और गुस्सा मिलकर उसे अंधा कर देते हैं। वह सत्य जाने बिना ही तुरंत एक भारी चीज़ उठाकर नेवले पर वार कर देती है और नेवला उसी पल मर जाता है।
नेवला, जिसने बच्चे को बचाया था, अपनी वफादारी का यह पुरस्कार पाकर मर जाता है। इसके बाद माँ अंदर भागती है और देखती है कि बच्चा बिल्कुल सुरक्षित है और पास में कोबरा मरा पड़ा है। तभी उसे सच्चाई का एहसास होता है कि नेवला दुश्मन नहीं था, बल्कि रक्षक था। उसे बहुत पछतावा होता है। वह रोती है, खुद को दोष देती है और सोचती है कि काश उसने एक पल रुककर देखा होता। जब किसान वापस लौटता है और यह सब सुनता है तो वह भी टूट जाता है। दोनों मिलकर अपने वफादार पालतू के लिए दुख मनाते हैं और समझ जाते हैं कि उनकी जल्दबाज़ी और शक ने एक बेगुनाह साथी की जान ले ली।
कहानी का संदेश बहुत स्पष्ट है। यह सिखाती है कि बिना जांचे-परखे किसी पर आरोप लगाना या गुस्से में निर्णय लेना बड़ी भूल है। हमें हर परिस्थिति में शांत रहकर सोचने की ज़रूरत है। वफादारी और भरोसे के रिश्ते को तोड़ने में एक पल लगता है, लेकिन पछतावा जीवनभर रह जाता है। “द फ्रेंडली मोंगूस” हमें धैर्य, विश्वास और सच्चाई जानने के बाद ही निर्णय लेने की सीख देती है।