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Chapter notes
“द ओल्ड-क्लॉक शॉप” एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी है जो दया, विश्वास और मानवीय संवेदना का महत्व सिखाती है। यह पाठ हमें बताता है कि जब कोई व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में फँस जाता है, तो वह गलत रास्ते की ओर जा सकता है, लेकिन समय पर मिला प्रेम और समझ उसे बचा सकता है। कहानी क्रिसमस की पूर्व संध्या पर घटती है और ठंडी बर्फीली रात के बीच मानवता की गर्माहट को उजागर करती है। इसमें दो अजनबियों की मुलाकात के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि सही समय पर की गई मदद किसी को अपराध से बचाकर नया जीवन दे सकती है।
कहानी रे नामक व्यक्ति की घड़ी की दुकान से शुरू होती है। रे एक अनुभवी और शांत स्वभाव का दुकानदार है। उसकी दुकान छोटी है, लेकिन उसमें तरह-तरह की पुरानी घड़ियाँ और घड़ी-घंटियाँ टंगी हैं, जिनकी टिक-टिक वातावरण को गंभीर और शांत बनाए रखती है। बाहर बर्फ गिर रही है और पूरा शहर क्रिसमस की तैयारी में व्यस्त है। लोग खुश हैं, बाज़ार सज गए हैं और हर तरफ त्योहार का माहौल है। रे भी अपनी दुकान बंद करने की तैयारी कर रहा होता है कि तभी एक अजनबी व्यक्ति दुकान में प्रवेश करता है। वह साधारण ग्राहक जैसा नहीं लगता। उसके चेहरे पर तनाव, चिंता और असमंजस दिखता है। रे तुरंत समझ जाता है कि यह व्यक्ति खरीदारी के लिए नहीं आया है। उसके अनुभव से उसे महसूस होता है कि यह आदमी किसी मानसिक संघर्ष से गुजर रहा है।
आने वाला व्यक्ति कुछ देर दुकान में इधर-उधर देखता है और घड़ियों के बारे में पूछता है, लेकिन उसकी आँखों और व्यवहार में बेचैनी साफ झलकती है। रे ध्यान से उसे देखता है, पर किसी तरह की कठोरता या शक नहीं दिखाता। वह शांति से बात करता है और उसे सहज महसूस कराने की कोशिश करता है। थोड़ी देर बाद वह व्यक्ति अपनी असली बात बताता है। वह कहता है कि वह अपनी एक पुरानी घड़ी बेचना चाहता है। वह घड़ी बहुत पुरानी और सामान्य होती है, जिसकी कीमत ज़्यादा नहीं होती। रे भी जानता है और वह व्यक्ति भी जानता है कि इस घड़ी से बहुत पैसे नहीं मिल सकते। फिर भी उसकी आवाज़ में ऐसी मजबूरी होती है जैसे वह पैसे के बिना आगे कुछ कर ही नहीं पाएगा।
रे को समझ आ जाता है कि यह मामूली सौदे का मामला नहीं है। यह व्यक्ति किसी बड़े संकट में है। धीरे-धीरे वह व्यक्ति अपना दुख खोलता है। वह बताता है कि वह काफी समय से बेरोज़गार है। उसने नौकरी पाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुआ। घर चलाने के लिए उसकी जमा पूँजी खत्म हो चुकी है। परिवार उस पर निर्भर है और क्रिसमस आने वाला है। उसे यह सोचकर बहुत शर्म महसूस होती है कि वह अपने बच्चों और परिवार को इस त्योहार पर कुछ भी नहीं दे पाएगा। इस निराशा और तनाव के कारण उसके मन में चोरी करने का विचार आ गया था। वह मानता है कि वह क्रोध और मजबूरी में दुकान लूटने आया था, लेकिन अंदर से वह खुद भी डर और अपराधबोध में था। उसकी आत्मा उसे रोक रही थी, इसलिए वह हाथ नहीं उठा पाया।
यह स्वीकारोक्ति कहानी का सबसे महत्वपूर्ण भावनात्मक हिस्सा है। रे समझ जाता है कि यह आदमी मूल रूप से अपराधी नहीं है, बल्कि गरीबी और निराशा ने इसे टूटने की कगार पर पहुँचा दिया है। रे गुस्सा नहीं करता, न ही उसे चोर कहकर बाहर निकालता है। वह उसे इंसान की तरह समझता है और उसकी आत्मसम्मान को बचाते हुए मदद करने का रास्ता निकालता है। रे कहता है कि वह उस घड़ी को पचास डॉलर में खरीद लेगा। यह रकम घड़ी की असली कीमत से बहुत ज्यादा होती है। दोनों जानते हैं कि रे असल में मदद कर रहा है, पर वह इसे “सौदा” बनाकर सामने वाले को शर्मिंदा नहीं होने देता। वह व्यक्ति राहत और कृतज्ञता से भर जाता है। वह पैसे ले लेता है और कहता है कि जब स्थिति सुधरेगी तो वह वापस आकर घड़ी ले जाएगा या पैसा चुका देगा।
रे की इस दयालुता से उस व्यक्ति का व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है। उसके चेहरे की कठोरता और डर गायब हो जाती है और वह सच्चे अर्थों में “मित्रवत” हो जाता है। रे की समझदारी और सहानुभूति ने उसे अपराध करने से बचा लिया। अगर रे कठोर प्रतिक्रिया देता, तो शायद वह व्यक्ति गलत कदम उठा लेता और जीवनभर पछताता। रे ने न सिर्फ अपनी दुकान बचाई, बल्कि उस व्यक्ति की ज़िंदगी भी सँभाल दी।
इस कहानी का संदेश स्पष्ट और प्रेरणादायक है। यह हमें सिखाती है कि किसी को तुरंत गलत नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हम उसकी परिस्थिति नहीं जानते। कभी-कभी एक छोटा-सा दयालु कदम किसी का जीवन बदल सकता है। रे ने क्रिसमस की असली भावना को निभाया—जरूरतमंद की मदद, बिना उसे अपमानित किए। यह पाठ विद्यार्थियों को दया, धैर्य, मानवता और सही निर्णय लेने की सीख देता है। “द ओल्ड-क्लॉक शॉप” बताता है कि सच्ची अच्छाई वही है जो किसी को गिरने से बचा ले, और यही मानव जीवन की सबसे बड़ी जीत है।