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Chapter notes
“द वंडर कॉल्ड स्लीप” एक जानकारीपूर्ण और विचारशील अध्याय है जो नींद को प्रकृति का एक बड़ा चमत्कार बताता है। यह अध्याय बाकी कहानियों से अलग एक सरल वैज्ञानिक और चिंतनात्मक लेख जैसा है, जिसमें बताया गया है कि नींद क्यों जरूरी है, यह शरीर और मन को कैसे लाभ पहुँचाती है, और सपने क्यों आते हैं। लेखक सरल भाषा में यह समझाता है कि नींद आलस्य या समय की बर्बादी नहीं, बल्कि जीवन के लिए आवश्यक प्रक्रिया है। नींद शरीर की थकान को दूर करती है, मन को शांत करती है, और हमें फिर से सक्रिय होने की शक्ति देती है।
अध्याय की शुरुआत इस विचार से होती है कि नींद एक “वंडर” यानी चमत्कार इसलिए है क्योंकि यह हर जीव को चाहिए, लेकिन हम अभी भी पूरी तरह नहीं जानते कि नींद क्यों आती है। मानव समेत हर जीव किसी न किसी रूप में सोता है। लेखक कहता है कि नींद का सबसे बड़ा और स्पष्ट लाभ यह है कि वह थके हुए शरीर को आराम देती है। दिनभर काम करने के बाद नींद शरीर को फिर से ऊर्जा देती है। अच्छी नींद के बाद हम ताज़ा, चुस्त और दिन के काम के लिए तैयार हो जाते हैं। नींद को लेखक एक टॉनिक की तरह बताता है, जो शरीर और दिमाग दोनों को पुनः सक्रिय करता है। अगर इंसान अच्छी नींद न ले तो वह कमजोर, चिड़चिड़ा और ध्यान न लगा पाने वाला बन जाता है।
इस अध्याय में यह भी समझाया गया है कि नींद के दौरान शरीर में क्या होता है। नींद में शरीर बंद नहीं होता, बल्कि एक शांत अवस्था में चला जाता है। मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं, साँस धीरे चलती है और बाहरी गतिविधियों का असर कम हो जाता है। इस समय शरीर अपने आप को ठीक करता है। दिनभर की थकान मिटती है, मांसपेशियाँ फिर से ताकत पाती हैं, और दिमाग विचारों को व्यवस्थित करता है। बच्चों की वृद्धि में नींद का बहुत योगदान है क्योंकि उनके शरीर का विकास और मजबूत होना नींद में ही अधिक होता है। लेखक यह बताकर नींद को एक प्राकृतिक दवा की तुलना देता है, जो शरीर को पुनः स्वस्थ और सशक्त बनाती है।
अध्याय का एक रोचक भाग जानवरों की नींद के बारे में है। लेखक बताता है कि अलग-अलग जानवर अलग तरीके से सोते हैं। कुछ जानवर खड़े होकर सोते हैं, कुछ बैठे हुए आराम करते हैं, और कुछ बहुत कम समय के लिए सोते हैं। मछलियाँ और कीड़े भी एक तरह की विश्राम अवस्था में जाते हैं, चाहे वे आँखें बंद नहीं करते। इससे लेखक यह दिखाता है कि नींद केवल इंसानों की जरूरत नहीं बल्कि प्रकृति का सार्वभौमिक नियम है। हर जीव के लिए नींद का उद्देश्य एक ही होता है—शरीर को दोबारा ऊर्जा देना।
अध्याय का मुख्य हिस्सा सपनों पर केंद्रित है। लेखक सपने को नींद के दौरान आने वाले चित्रों, विचारों और कहानियों का समूह बताता है। सपने कभी मज़ेदार होते हैं, कभी डरावने, कभी बहुत अजीब और कभी बिलकुल असंभव। कई बार सपने इतने वास्तविक लगते हैं कि जागने के बाद भी उनका असर कुछ समय तक रहता है। लेखक बताता है कि सपने अधिकतर गहरी नींद की अवस्था में आते हैं, जब शरीर आराम कर रहा होता है लेकिन मस्तिष्क सक्रिय रहता है। सपनों का संबंध कई बार दिनभर की घटनाओं और मन की चिंताओं से होता है। जैसे बच्चों को परीक्षा या स्कूल की चिंता हो तो उन्हें वैसा सपना आ सकता है। फिर भी कई सपने कल्पनाशील होते हैं जिनका कोई सीधा संबंध वास्तविकता से नहीं होता।
लेखक यह भी बताता है कि सपने महत्वपूर्ण क्यों हैं। सपने मन का तनाव कम करने में मदद करते हैं। जब हम किसी चीज़ को लेकर दबाव महसूस करते हैं, तो सपना उस तनाव को बाहर निकालने का तरीका बन सकता है। दूसरा, सपने मस्तिष्क को यादों और अनुभवों को नई तरह से整理 करने में सहायता करते हैं। कभी-कभी सपने किसी समस्या का हल भी सुझा सकते हैं क्योंकि दिमाग नींद में भी सोचता रहता है। लेखक यह भी संकेत देता है कि सपने स्वस्थ मन और गहरी नींद का संकेत हैं।
अंत में अध्याय नींद के महत्व पर जोर देता है। यह चेतावनी देता है कि अगर लोग नींद को नज़रअंदाज़ करें और लगातार जागते रहें, तो शरीर और दिमाग दोनों कमजोर हो जाते हैं। नींद की कमी से मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, याददाश्त कमजोर होना और स्वास्थ्य गिरना जैसी समस्याएँ होती हैं। लेखक बच्चों को परोक्ष रूप से यह प्रेरणा देता है कि उन्हें समय पर सोना चाहिए, सही दिनचर्या बनानी चाहिए और अपने शरीर की प्राकृतिक जरूरत का सम्मान करना चाहिए। वह यह भी बताता है कि छोटे बच्चे ज्यादा सोते हैं क्योंकि उनका शरीर तेजी से बढ़ रहा होता है, जबकि बुजुर्ग लोग कम सोते हैं क्योंकि उनकी शारीरिक गतिविधियाँ कम होती हैं।
इस प्रकार “द वंडर कॉल्ड स्लीप” हमें यह सिखाता है कि नींद जीवन का एक अनमोल वरदान है। यह शरीर को ताज़ा करती है, दिमाग को मजबूत करती है, विकास में मदद करती है और सपनों के माध्यम से मन को राहत देती है। अध्याय का केंद्रीय संदेश साफ है—नींद समय की बर्बादी नहीं बल्कि प्रकृति की सबसे जरूरी और सुंदर प्रक्रिया है, और हमें इसकी उतनी ही अहमियत देनी चाहिए जितनी भोजन और व्यायाम को देते हैं।