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Chapter summaries

A Strange Wrestling Match summary

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Summary

A Strange Wrestling Match

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Chapter notes

“अ स्ट्रेंज रेसलिंग मैच” एक मज़ेदार लेकिन बहुत गहरी सीख देने वाली कहानी है। यह पाठ साहस, संयम, दया और शक्ति के सही उपयोग का महत्व समझाता है। कहानी विजयगढ़ राज्य की है, जहाँ राजा अपने दरबारी पहलवान विजय सिंह पर बहुत गर्व करता है। विजय सिंह की मुलाकात एक ऐसे पहलवान से होती है जो देखने में कमजोर और साधारण लगता है, लेकिन अंत में वही विजय सिंह को ऐसी सीख देता है जिससे उसका जीवन और स्वभाव बदल जाता है। कथा हास्य और आश्चर्य के माध्यम से यह सिखाती है कि असली ताकत हिंसा या घमंड में नहीं, बल्कि नम्रता, बुद्धि और आत्म-नियंत्रण में होती है।

कहानी की शुरुआत विजयगढ़ के राजा से होती है। राजा अपने सबसे प्रसिद्ध पहलवान विजय सिंह को बहुत मानता है। विजय सिंह पूरे राज्य में अपने बल और कुश्ती-कौशल के लिए मशहूर है। उसने अब तक हर पहलवान को हराया है, इसलिए लोग उससे डरते भी हैं और उसकी प्रशंसा भी करते हैं। राजा को लगता है कि विजय सिंह जैसा शक्तिशाली पहलवान कहीं नहीं है, और वह उसे अपने राज्य की शान मानता है। विजय सिंह की लगातार जीतों ने उसके भीतर घमंड भर दिया है। वह खुद को अपराजेय समझने लगा है। उसकी भाषा और व्यवहार में अहंकार आ गया है। वह दूसरे लोगों को कमजोर समझने लगता है और अपनी ताकत को दिखाने के लिए डराने-धमकाने की आदत भी पाल लेता है।

एक दिन दरबार में एक अनोखा व्यक्ति आता है और घोषणा करता है कि वह विजय सिंह से कुश्ती लड़ना चाहता है। वह आदमी न तो पहलवान जैसा दिखता है, न ही उसके शरीर में कोई खास ताकत दिखाई देती है। वह पतला-दुबला, साधारण कपड़ों में और शांत स्वभाव का होता है। दरबार में बैठे लोग उसे देखकर हँस पड़ते हैं। उन्हें लगता है कि यह आदमी मूर्ख है जो विजय सिंह से लड़ने की हिम्मत कर रहा है। विजय सिंह भी खुद को अपमानित महसूस करता है। उसे लगता है कि इतने कमजोर आदमी का चुनौती देना उसकी प्रतिष्ठा का अपमान है। फिर भी राजा उत्सुकता और मनोरंजन के लिए मुकाबले की अनुमति दे देता है।

मुकाबला शुरू होता है और तभी कहानी का असली रहस्य सामने आने लगता है। विजय सिंह पूरे बल के साथ उस आदमी को पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वह आदमी बहुत हल्के और शांत तरीके से हर बार बच निकलता है। वह किसी प्रकार की आक्रामकता नहीं दिखाता, न वार करता है और न ही चोट पहुँचाने की कोशिश करता है। वह केवल विजय सिंह के हमलों से बचता रहता है। हर बार विजय सिंह पूरी ताकत लगाकर झपटता है, लेकिन वह आदमी फुर्ती और संतुलन से निकल जाता है। दर्शक हैरान रह जाते हैं क्योंकि उन्होंने कभी विजय सिंह को इस तरह संघर्ष करते नहीं देखा।

मुकाबला और अजीब तब हो जाता है जब वह आदमी कभी-कभी हँसता है और विजय सिंह के कंधे पर हल्की-सी थपकी दे देता है, जैसे मज़ाक कर रहा हो। विजय सिंह का घमंड और भी चोट खाता है। वह गुस्से में आकर और जोर से हमला करने लगता है। लेकिन उसका गुस्सा उसकी कमजोरी बन जाता है। लगातार हमला करते-करते वह थकने लगता है। दूसरी तरफ वह शांत आदमी बिलकुल ताज़ा और हल्का रहता है। आखिर में जब विजय सिंह एक बार फिर पूरी ताकत से झपटता है, तो वह खुद ही संतुलन खो बैठता है और ज़ोर से जमीन पर गिर पड़ता है। वह आदमी उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाता, बस शांत खड़ा रहता है। मुकाबला समाप्त हो जाता है और विजय सिंह हार जाता है। यह हार ताकत से नहीं बल्कि उसके अपने क्रोध, घमंड और अधीरता से हुई होती है।

जब सब लोग चौंक जाते हैं, तब वह अनोखा पहलवान अपना रहस्य बताता है। वह कहता है कि वह कोई पेशेवर पहलवान नहीं है। वह योग और आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करता है। उसने सुना था कि विजय सिंह अपनी ताकत का गलत उपयोग कर रहा है और अभिमानी बन चुका है। इसलिए वह उसे सबक सिखाने आया था। वह बताता है कि शरीर की ताकत तभी उपयोगी है जब मन पर नियंत्रण हो। जो व्यक्ति क्रोध और अहंकार पर काबू नहीं रख सकता, वह आसानी से हार जाता है, चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो। उसका शांत स्वभाव, संतुलन और बुद्धि ही उसकी असली शक्ति थी।

राजा इस बात से प्रभावित होता है और उस आदमी की समझदारी की प्रशंसा करता है। विजय सिंह को भी अपनी गलती का एहसास होता है। उसे समझ आता है कि घमंड उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी। वह शर्मिंदा होकर माफी माँगता है और वचन देता है कि आगे से वह नम्र बनेगा और ताकत का उपयोग अच्छे कामों के लिए करेगा। अनोखा पहलवान उसे माफ कर देता है और समझाता है कि असली विजय दूसरों को हराने में नहीं बल्कि खुद को बेहतर बनाने में है।

इस प्रकार “अ स्ट्रेंज रेसलिंग मैच” हमें यह सिखाता है कि घमंड और गुस्सा इंसान को कमजोर बना देते हैं, जबकि संयम और शांत बुद्धि सबसे बड़ी ताकत होती है। कहानी मनोरंजक तरीके से यह संदेश देती है कि शक्ति का सही उपयोग करना चाहिए, और हमेशा विनम्र तथा धैर्यवान रहना चाहिए। यही सच्ची महानता है।